उपराष्ट्रपति धनखड़ ने ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया

नई दिल्ली, 17 फरवरी (sd news agency)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्र सर्वोपरि का दृष्टिकोण अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि कोई भी व्यक्तिगत, राजनीतिक या अन्य हित राष्ट्रीय हित से बड़ा नहीं हो सकता।

सोमवार को पंजाब के मोहाली स्थित राष्ट्रीय कृषि-खाद्य और जैव विनिर्माण संस्थान (NABI) में उन्नत उद्यमिता और कौशल विकास कार्यक्रम (A-ESDP) परिसर के उद्घाटन के अवसर पर उपराष्ट्रपति ने यह विचार व्यक्त किए।

राष्ट्र प्रथम की विचारधारा को अपनाने की अपील

श्री धनखड़ ने कहा, “एक भारतीय के रूप में हमें अपने राष्ट्र के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता रखनी चाहिए और ‘राष्ट्र प्रथम’ के सिद्धांत को अपनाना चाहिए।” उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि व्यक्तिगत और राजनीतिक हितों को राष्ट्रीय हित से ऊपर न रखें।

भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा पर प्रकाश

उन्होंने भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि “अतीत में भारत को ज्ञान और बुद्धि की भूमि के रूप में जाना जाता था। विज्ञान, खगोल विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में हमारी प्राचीन परंपरा अत्यंत समृद्ध रही है।”

उन्होंने वेदों, उपनिषदों और पुराणों में निहित ज्ञान की महत्ता को रेखांकित किया और कहा कि भारत को अपनी प्राचीन शिक्षा प्रणाली—नालंदा और तक्षशिला जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों पर गर्व करना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर नवाचार, उद्यमिता और कौशल विकास को बढ़ावा देने पर भी बल दिया और देश के युवाओं से राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की।


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