
15 नवम्बर 2025, नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पार्टी के लिए एक ऐसे चुनावी रणनीतिकार के रूप में उभरकर सामने आए हैं, जिनका असर केवल बिहार तक ही सीमित नहीं रहा है, बल्कि पूरे देश में उनकी योजनाओं और रणनीतियों का जलवा देखा गया है। हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में प्रधान की अहम भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। इस जीत के पीछे उनकी रणनीतिक सूझबूझ और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ की गई दोस्ती का बड़ा हाथ था।
धर्मेंद्र प्रधान का बिहार से जुड़ाव
धर्मेंद्र प्रधान का बिहार से राजनीतिक जुड़ाव 2010 के विधानसभा चुनाव से शुरू हुआ था। उसी दौरान उन्होंने बिहार में दो महीने तक डेरा डाला और यहां के राजनीतिक हालात को समझा। उनके साथ उस समय नीतीश कुमार के रिश्ते भी और मजबूत हुए। यह दोस्ती 2013 में और गहरी हुई जब नीतीश कुमार ने बीजेपी से अपना रिश्ता तोड़ा। इसके बाद प्रधान को 2012 में राज्यसभा भेजा गया, और 2015 में, जब नीतीश कुमार ने प्रधान को एक सरकारी कार्यक्रम में ‘बिहारी मित्र’ कहकर संबोधित किया, तो यह दोस्ती सार्वजनिक रूप से जगजाहिर हो गई।
नीतीश-प्रधान की 25 साल पुरानी मित्रता
धर्मेंद्र प्रधान और नीतीश कुमार की दोस्ती का सिलसिला तब शुरू हुआ जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान प्रधान के पिता, देबेंद्र प्रधान, वाजपेयी सरकार में राज्यमंत्री थे। उस समय नीतीश भी केंद्र सरकार का हिस्सा थे। दोनों नेताओं के परिवारों का आपस में घनिष्ठ संबंध बना और यही रिश्ते बाद में राजनीति में भी रंग लाए। 2013 में जब नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो रहे थे, तो धर्मेंद्र प्रधान ने उन्हें इस फैसले पर पुनर्विचार करने की सलाह दी थी।
प्रधान की रणनीति: जीत की स्क्रिप्ट
धर्मेंद्र प्रधान ने बीजेपी के लिए बिहार समेत कई राज्यों में चुनावी रणनीति बनाई है और पार्टी को कई बार अप्रत्याशित जीत दिलवाने में मदद की है। 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सफलता में प्रधान की रणनीतियों ने एक अहम भूमिका निभाई। प्रधान की राजनीतिक सूझबूझ और नीतीश कुमार के साथ बढ़ी दोस्ती ने चुनावी मैदान में बीजेपी को मजबूती दी। इस जीत को प्रधान की एक और कमान्डिंग सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
बीजेपी के लिए रणनीतिक कुशल नेतृत्व
धर्मेंद्र प्रधान का राजनीतिक सफर बिहार तक सीमित नहीं रहा है। बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का उनका विश्वास ही है कि उन्हें पेट्रोलियम मंत्रालय जैसी अहम जिम्मेदारी मिली, जिसके बाद अब वह शिक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। उनके द्वारा बनाई गई चुनावी रणनीतियों की सफलता के कारण प्रधान बीजेपी में एक विश्वसनीय नेता के रूप में स्थापित हो गए हैं।
धर्मेंद्र प्रधान: हिंदी हार्टलैंड के चुनावी रणनीतिकार
धर्मेंद्र प्रधान, जो कि मूल रूप से उड़ीसा से हैं, ने खुद को अब हिंदी हार्टलैंड का सबसे प्रभावशाली चुनावी रणनीतिकार साबित किया है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बंगाल, और कर्नाटक जैसे राज्यों में उनकी रणनीतियों ने बीजेपी को सफलता दिलाई है। 2022 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की जीत और 2021 में बंगाल में नंदीग्राम सीट पर ममता बनर्जी को हराना उनके चुनावी कौशल के जीते-जागते उदाहरण हैं।
हार को जीत में बदलने की कला
धर्मेंद्र प्रधान की खासियत यह है कि वे हार को जीत में बदलने में माहिर हैं। 2023 में कर्नाटक चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2024 में ओडिशा और हरियाणा जैसे राज्यों में पार्टी की अप्रत्याशित सफलता को धर्मेंद्र प्रधान की रणनीति और मेहनत का ही परिणाम माना गया।
धर्मेंद्र प्रधान की कुशल रणनीतियों ने बीजेपी को राज्यों में कठिन चुनावों में सफलता दिलाई और पार्टी को मजबूत किया। उनका चुनावी आकलन और फैसले पार्टी के लिए महत्वपूर्ण साबित हुए हैं, और यह संकेत देते हैं कि वे भविष्य में भी बीजेपी के लिए एक अहम स्तंभ बने रहेंगे।