
उज्जैन। मनुष्य मात्र को तो अनेक प्रकार का ज्ञान सामान्य रुप से होता गया किंतु मनुष्य वीतराग हो सकता है अरिहंत, मुक्त हो सकता है, इसका बोध जिन्होंने मनुष्य को प्रदान किया। वे सभी हमारे तीर्थंकर परमात्मा हुए। व्यक्ति जब तक राग-द्वेष के बंधन बनाता रहेगा, तब तक उसका जन्म- मरण का दु:ख चक्र चलता रहेगा और जन्म-मरण से वही मुक्त हो सकता है जो राग द्वेष, मोह आसक्ति से छूटकारा पाने की साधना में गतिमान हो गया है। जिसने समता को निरंतर वृद्धिवंत करने की कला सीख ली है, जिसका हृदय प्रेम-करुणा-मैत्री से ही सदा परिप्लावित रहता है। वह जो वीतरागता का स्वयं की आत्म चेतना में अनुभव स्तर पर प्रतिक्षण ज्ञान करता हुआ जीता है, वह जन्म और मरण से मुक्त हो जाता है। भगवान आदिनाथ ऐसे वीतराग धर्म के आदि पुरुष है, अनंत गुण धारक हैं। जिनका न चिंतन किया जा सकता है,न चर्चा की जा सकती है उन्हें तो सिर्फ अनुभव ही किया जा सकता है। असि, मसि, कृषि, विद्या, वाणिज्य और शिल्प का ज्ञान देने वाले राजेश्वर ऋषभदेव ही मनुष्य को राग द्वेष से मुक्त वीतरागता का पथ दिखाने वाले भगवान आदिनाथ है। जैनाचार्य श्रीपूज्यजी श्रीजिनचन्द्रसूरिजी मसा के सानिध्य में शांतिनाथ आराधना भवन में सत्य साधना ध्यान के पश्चात प्रवचन में यतिप्रवर श्रीअमृतसुंदरजी मसा ने भक्तामर स्तोत्र स्वाध्याय अन्तर्गत भाव व्यक्त किए। मुमुक्षुणी अंजलि राखेचा ने वैराग्य भावना का सुंदर गायन करते हुए शब्दश: प्रेरक भावार्थ प्रस्तुत करते हुए अनमोल मनुष्य जीवन के स्वर्णिम अवसर का लाभ लेने सत्य साधना ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाने को प्रेरित किया। मुमुक्षु विकास चौपड़ा ने संत कबीर के दोहे और उस पर कबीर के बेटे कमाल और बेटी कमाली की चर्चा से मनुष्य जो अच्छा बुरा, अनुकूलता प्रतिकृलता के, आशा निराशा, लाभ हानि के दो पाटों के बीच में जीवन फंसा न रहे अपितु सत्य साधना के द्वारा केन्द्र पर आ जाने और संसार में रह कर भी संतुलित और संयमित जीवन जीने की दिशा में अग्रसर होने का लक्ष्य रखने की प्रेरणा दी। गुरु भक्त कवि हेमंत श्रीमाल ने तनिक ध्यान धर ले रचना का मधुर पाठ किया। गुरुदेव श्रीपूज्यजी ने मंगल पाठ फरमाया। अवंति पार्श्वनाथ तीर्थ मारवाड़ी समाज ट्रस्ट अध्यक्ष अशोक कोठारी ने बताया कि गुरुदेव श्रीपूज्यजी के सानिध्य में होने वाले यति यतिनियों की दीक्षा महोत्सव की तैयारी जोर शोर से चल रही है। नगर में निमंत्रण पत्र वितरण हो गया है। अनेक धार्मिक, आध्यात्मिक,सांस्कृतिक कार्यक्रम की तैयारियां भी चल रही हैं। देश भर से पधारने वाले गुरुभक्तों के आवास, परिवहन, भोजन आदि के लिए भी वालिंटियर की टीम को विभागवार जिम्मेदारी दी जा रही है। सब महोत्सव की प्रतिक्षा में हैं।