
उज्जैन। भगवान आदिनाथ के काल से चली आ रही यति परंपरा जो धर्म, समाज, देश की संस्कृति, संस्कार के संरक्षण में अपना बहुविध योगदान देती आ रही है। तीर्थंकर परमात्मा के दिखाए शुद्ध धर्म के खरे स्वरूप को जीवंत चैतन्य बनाए रखने वाली एवं समय-समय पर आवश्यक क्रांतिकारी बदलाव को स्वीकार्यता देने वाली खरतरगच्छ की श्रीपूज्य परंपरा के वर्तमान 40वें पट्टधर जंगम युग प्रधान, वृहत् भट्टारक, खरतरगच्छाधिपति, जैनाचार्य श्रीपूज्य जी श्रीजिनचन्द्र सूरिजी मसा के सानिध्य में जैन यति-यतिनियों की दीक्षा होने जा रही है। युवावय में महिदपुर के विकास चौपड़ा एवं अंजलि राखेचा दीक्षा ग्रहण करेंगे, वहीं कोलकाता की इंदिरा नाहर भी अपने आत्म कल्याण के लिए यतिनी दीक्षा ग्रहण करने जा रही हैं। उल्लेखनीय है कि मुमुक्षु-मुमुक्षुणी कई वर्षों से निरंतर गुरुदेव श्रीपूज्यजी के सानिध्य में सत्य साधना के पथ पर अग्रसर रहते हुए धार्मिक-आध्यात्मिक स्वाध्याय में संलग्न हैं। महिदपुर निवासी अशोक-शांता चौपड़ा परिवार के लाड़ले सुपुत्र है विकास चौपड़ा। अंजलि अपने माता-पिता यश कुमार स्नेहलता राखेचा की इकलौती संतान हैं। गुरुदेव की कृपा से इस परिवार ने मोह पर विजय पाई और एक आत्मा अपने जीवन का सर्वोत्कृष्ट उपयोग लेने परमात्मा के पथ पर गतिमान हो चली है।
महामहोत्सव का शंखनाद मधुरिम शहनाई की सप्त स्वर लहरी की अनुगूंज से हुआ। आज परमात्मा के भव्य स्नात्र महोत्सव एवं दादा गुरुदेव की बड़ी पूजा के अनूठे आयोजन से हुआ। भाव भीने भक्ति नृत्य व संगीत मय वातावरण में प्रभु पूजा एवं गुरु पूजन सिद्धार्थ डागा ‘पिंटूÓ, वात्सल्य चौपड़ा, महेन्द्र कोचर एवं शांतिनाथ महिला मंडल द्वारा पढ़ाई गई। संध्या में मनोरमा गार्डन में धर्म प्रेरणास्पद सांस्कृतिक संध्या में नाट्य चमत्कार क्यों? एवं दीक्षा क्यों? का सराहनीय मंचन स्थानीय संघ के मंडलों द्वारा डॉ. श्रेयांस जैन के संयोजन में किया गया। देश भर के शहर गांवों से गुरु भक्तों का आगमन हुआ है। महोत्सव के द्वितीय दिवस प्रात: 8 बजे शांतिनाथ जी से गुरुदेव का सामैया चल समारोह अवंति पार्श्वनाथ तीर्थ पहुंचेगा जहां सिद्धचक्र महापूजन होगा। संध्या को मनोरमा गार्डन में गुरुदेव श्रीपूज्यजी श्रीजिनचन्द्र सूरिजी मसा के जीवन पर आधारित नाट्य सत्य साधक की अनोखी प्रस्तुति त्रिनेत्र सांस्कृतिक संस्थान कला समूह द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।