
कोलकाता/मुर्शिदाबाद: पश्चिम बंगाल में 2026 विधानसभा चुनावों की आहट के साथ राजनीतिक तापमान तेज हो गया है। तृणमूल कांग्रेस के विधायक हुमायूं कबीर ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने खुलकर कहा है कि वह असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के साथ गठबंधन करने को तैयार हैं। इतना ही नहीं, कबीर ने यह भी घोषणा की है कि वह 22 दिसंबर को अपनी नई राजनीतिक पार्टी का गठन करेंगे।
हालांकि AIMIM की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है, लेकिन कबीर का दावा है कि वह एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी के निजी सहायक के संपर्क में हैं। AIMIM चाहती है कि वे पार्टी में शामिल हों, जबकि कबीर गठबंधन को प्राथमिकता दे रहे हैं।
बाबरी मस्जिद-शैली की मस्जिद की नींव रखने के बाद राजनीतिक पारी तेज
हुमायूं कबीर ने शनिवार को रेजिनगर में ‘बाबरी मस्जिद शैली की मस्जिद’ की नींव रखी थी, जिसके अगले ही दिन उन्होंने चुनावी योजना सार्वजनिक कर दी।
पहले उन्होंने 17 दिसंबर को विधायक पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में रुख बदलते हुए कहा—
“भरतपुर के लोगों ने मुझे चुनकर भेजा है, अभी इस्तीफा देना उन्हें मुश्किल में डालना होगा।”
कौन हैं हुमायूं कबीर? उतार-चढ़ाव से भरा रहा राजनीतिक सफर
- 1990 के दशक में यूथ कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत।
- 2011 में कांग्रेस के टिकट पर रेजिनगर से विधायक।
- एक साल बाद टीएमसी में शामिल होकर मंत्री बने।
- 2014 में छह साल के लिए टीएमसी से निष्कासित।
- 2016 में निर्दलीय लड़े, हार गए।
- 2018 में बीजेपी में शामिल।
- 2019 लोकसभा चुनाव मुर्शिदाबाद से लड़ा, लेकिन हार गए।
- निष्कासन खत्म होने के बाद 2021 से पहले फिर टीएमसी में लौटे और भरतपुर से चुनाव जीता।
टीएमसी ने कबीर के रुख पर सवाल उठाते हुए पूछा है—
“जो व्यक्ति 2019 के चुनाव में बीजेपी के साथ मंच साझा कर रहा था, वह अब खुद को बाबरी मस्जिद का अगुवा कैसे बता सकता है?”
कबीर ने पेश किया चुनावी रोडमैप
कबीर ने कहा कि उनकी योजना AIMIM के साथ गठबंधन कर 135 सीटों पर चुनाव लड़ने की है।
उन्होंने दावा किया:
- CPM और ISF गठबंधन के लिए तैयार हैं
- कांग्रेस के लिए 10 सीटें छोड़ने को भी तैयार
- मुर्शिदाबाद में अधीर रंजन चौधरी के जनाधार को मान्यता
लेकिन CPM, ISF और कांग्रेस—तीनों ने कबीर के इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया।
ISF विधायक नौशाद सिद्दीकी ने कहा:
“कबीर से न तो कोई बात हुई है और न ही गठबंधन का कोई सवाल है। उन्हें पहले अपने विवादित बयान वापस लेने होंगे।”
सीपीएम नेता एमडी सलीम और कांग्रेस के अधीर चौधरी ने भी कबीर के प्रस्ताव को ‘राजनीतिक भ्रम’ करार दिया।
टीएमसी ने साधा निशाना
टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कबीर पर तीखा प्रहार करते हुए कहा:
“धार्मिक ध्रुवीकरण के सहारे राजनीतिक जमीन तलाशने की कोशिश है। जब वह बीजेपी में गए थे तब उनकी अंतरात्मा कहां थी?”
बंगाल की राजनीति में नई हलचल
कबीर के बयानों और नई पार्टी की घोषणा से मुर्शिदाबाद सहित पूरे बंगाल में नई राजनीतिक बहस छिड़ गई है।
2026 के चुनावों से पहले यह कदम विपक्षी खेमों में समीकरण बदल सकता है या फिर सिर्फ राजनीतिक शोर?
इसका जवाब चुनावी मैदान ही तय करेगा।
