Legal desk

मार्च 1990 के प्रमुख न्यायिक मामले – विस्तृत रिपोर्ट
Legal desk

मार्च 1990 के प्रमुख न्यायिक मामले – विस्तृत रिपोर्ट

मार्च 1990 में भारतीय न्यायिक प्रणाली में कई महत्वपूर्ण फैसले आए, जिन्होंने कानून की व्याख्या और संवैधानिक अधिकारों को स्पष्ट किया। इस रिपोर्ट में उन प्रमुख मामलों की संक्षिप्त विवेचना की गई है, जो उस समय सुर्खियों में रहे। 1. माइनिंग केस – इंडिया सीमेंट बनाम तमिलनाडु राज्य मामला: यह मामला खनन अधिकारों और उनके कराधान से जुड़ा था। 1989 तक, "इंडिया सीमेंट बनाम तमिलनाडु राज्य" (India Cement v. State of Tamil Nadu) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया था कि खनिजों पर रॉयल्टी एक प्रकार का कर (Tax) है। राज्य सरकारें इसे कर के रूप में वसूल सकती थीं। मार्च 1990 में फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय को पलटते हुए कहा कि रॉयल्टी कर नहीं, बल्कि एक "कंसिडरेशन" (consideration) है, जो खनिजों के दोहन के विशेषाधिकार के लिए दी जाती है। इस फैसले के बाद, राज्य सरकारों को खन...
फरवरी 1990 के भारत के सर्वश्रेष्ठ न्यायिक निर्णय की विस्तृत रिपोर्ट
Legal desk

फरवरी 1990 के भारत के सर्वश्रेष्ठ न्यायिक निर्णय की विस्तृत रिपोर्ट

भारत में न्यायिक प्रणाली ने समय-समय पर ऐसे फैसले दिए हैं, जिन्होंने समाज और कानून पर गहरा प्रभाव डाला है। फरवरी 1990 का समय भी भारतीय न्यायपालिका के लिए महत्वपूर्ण रहा। हालांकि उस समय के सभी न्यायिक निर्णयों का विवरण उपलब्ध नहीं है, लेकिन उस दशक में दिए गए फैसलों की एक झलक हमें यह समझने में मदद करती है कि भारतीय न्यायिक प्रणाली ने समाज को कैसे दिशा प्रदान की। 1. संवैधानिक अधिकार और आरक्षण की सीमा 1990 का दशक मंडल आयोग की सिफारिशों और आरक्षण के मुद्दे पर चर्चित रहा। यह समय सामाजिक न्याय और समानता को लेकर महत्वपूर्ण था। सुप्रीम कोर्ट ने “इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ” मामले (1992) में ऐतिहासिक निर्णय दिया। इस निर्णय ने आरक्षण के दायरे को स्पष्ट किया और यह सुनिश्चित किया कि कुल आरक्षण 50% से अधिक न हो। हालांकि यह फैसला फरवरी 1990 का नहीं था, लेकिन इसके पीछे के तर्क और चर्चा उस समय शुरू हुई...
1990: भारतीय न्यायपालिका के ऐतिहासिक फैसले जो बने समाज और कानून में बदलाव की नींव
Legal desk

1990: भारतीय न्यायपालिका के ऐतिहासिक फैसले जो बने समाज और कानून में बदलाव की नींव

1990 का वर्ष भारतीय न्यायपालिका के लिए कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक निर्णयों का गवाह बना। इन निर्णयों ने न केवल कानूनी प्रणाली को प्रभावित किया, बल्कि समाज में भी व्यापक बहसें छेड़ीं। यहां 1990 के कुछ प्रमुख न्यायालय के फैसलों की चर्चा की जा रही है: 1. शाह बानो केस का प्रभाव जारी 1985 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए शाह बानो केस के निर्णय का प्रभाव 1990 तक महसूस किया गया। इस मामले ने मुस्लिम महिलाओं के तलाक और भरण-पोषण के मुद्दों पर एक नई बहस को जन्म दिया। यह निर्णय महिला अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। 2. बोफोर्स घोटाला केस बोफोर्स घोटाले ने 1990 में भारतीय राजनीति को हिला कर रख दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए, जिसमें गवाहों और दस्तावेजों की समीक्षा के आदेश शामिल थे। यह मामला उस समय देश के स...