
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की महत्वपूर्ण बैठक आज से शुरू हो रही है। गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक के फैसले 5 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। आम लोगों की नजर इस पर टिकी है कि क्या इस बार रेपो रेट में कटौती होगी या EMI का बोझ जस का तस रहेगा। विशेषज्ञों की राय इस बार बंटी हुई दिख रही है।
ग्रोथ मजबूत, महंगाई काबू में — क्या करेगा RBI?
वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में देश की GDP ग्रोथ 8.2% रही है, जो उम्मीद से बहुत बेहतर है। ग्रामीण इलाकों में मांग और शहरी क्षेत्रों में खपत में लगातार सुधार के संकेत मिले हैं। ऐसे में कई अर्थशास्त्री मानते हैं कि RBI नीतिगत दरों को स्थिर रख सकता है।
दूसरी ओर, महंगाई में बड़ी गिरावट ने ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों को बढ़ाया है। अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर घटकर 0.25%, यानी कई सालों के निचले स्तर पर पहुंच गई। खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी इसका मुख्य कारण रही। हालांकि, औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार धीमी हुई है और विदेशी निवेशकों की निकासी भी चिंता पैदा कर रही है।
विशेषज्ञों की राय: कटौती की गुंजाइश, लेकिन सतर्कता जरूरी
केयरएज रेटिंग्स के एमडी और ग्रुप सीईओ मेहुल पंड्या का कहना है कि मजबूत GDP ग्रोथ और बेहद कम महंगाई दो विपरीत संकेत हैं। आमतौर पर तेज आर्थिक गतिविधियों के समय ब्याज दरें कम नहीं की जातीं, जबकि कम महंगाई कटौती के लिए अनुकूल माहौल बनाती है। उन्होंने कहा कि भारत की विकास गति वित्तीय और संरचनात्मक सुधारों का परिणाम है, लेकिन वैश्विक अनिश्चितता आगे चुनौती बन सकती है।
उनके अनुसार, 2026 में बड़ी कटौती की उम्मीदें सीमित दिखती हैं।
मनीबॉक्स फाइनेंस के सह-संस्थापक मयूर मोदी ने कटौती की संभावना को ज्यादा ठोस बताया। उनके मुताबिक, रिकॉर्ड GDP ग्रोथ से RBI को निर्णायक कदम उठाने की गुंजाइश मिलती है। महंगाई लक्ष्य के भीतर है, इसलिए 25 बेसिस पॉइंट की कटौती खपत और कर्ज की मांग को बढ़ा सकती है।
बिज2क्रेडिट के सह-संस्थापक रोहित अरोड़ा भी 25 बीपीएस की कटौती की उम्मीद कर रहे हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट: कोई बदलाव नहीं होगा
इसके विपरीत, बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि RBI रेपो रेट 5.5% पर बरकरार रख सकता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि:
- GDP ग्रोथ उम्मीद से बेहतर
- शहरी और ग्रामीण मांग मजबूत
- निजी निवेश में सुधार के संकेत
महंगाई में तेज गिरावट के बावजूद, सोने की ऊंची कीमतों ने मुख्य महंगाई को 4% से ऊपर बनाए रखा है। रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश भले मौजूद हो, लेकिन RBI सावधानीपूर्वक कदम उठाएगा।