जबलपुर : यूपीएससी में गरीबों को आयु सीमा में नहीं मिलेगी छूट: MP हाईकोर्ट ने ओबीसी उम्मीदवारों की 9वें अटेम्प्ट की याचिका की खारिज

जबलपुर, 18 मार्च एसडी न्यूज़ एजेंसी
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने यूपीएससी परीक्षा में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के उम्मीदवारों को आयु सीमा में छूट देने की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को आयु सीमा में अतिरिक्त छूट का लाभ नहीं दिया जा सकता। इसके साथ ही, ओबीसी उम्मीदवारों द्वारा नौवें प्रयास (अटेम्प्ट) की अनुमति के लिए दायर याचिका को भी अदालत ने ठुकरा दिया।

क्या है मामला:

ओबीसी उम्मीदवारों ने याचिका दायर कर मांग की थी कि उन्हें 9वें प्रयास का मौका दिया जाए, जबकि वर्तमान में ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को अधिकतम 7 प्रयासों का ही अवसर मिलता है। वहीं, EWS उम्मीदवारों ने भी मांग की थी कि उन्हें भी आयु सीमा में छूट दी जाए, जो अन्य आरक्षित वर्गों को मिलती है।

कोर्ट का फैसला:

हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15(6) के तहत EWS को केवल 10% आरक्षण का ही प्रावधान है, इसमें आयु सीमा में छूट का उल्लेख नहीं है। इसलिए EWS वर्ग को आयु सीमा में छूट का लाभ नहीं मिल सकता।

कोर्ट ने ओबीसी उम्मीदवारों की याचिका पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि यूपीएससी परीक्षा नियमों के अनुसार ओबीसी वर्ग को अधिकतम 7 प्रयासों का ही प्रावधान है। 9वें प्रयास की अनुमति देने का कोई संवैधानिक आधार नहीं है, इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है।

याचिकाकर्ताओं की दलील:

ओबीसी उम्मीदवारों ने दलील दी थी कि कोविड-19 महामारी के दौरान उनकी परीक्षाएं प्रभावित हुईं, जिससे उन्हें अतिरिक्त प्रयास का मौका मिलना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया और कहा कि कोविड के कारण अतिरिक्त प्रयास का कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है।

फैसले का असर:

कोर्ट के इस फैसले के बाद EWS वर्ग के उम्मीदवारों को यूपीएससी परीक्षा में सामान्य वर्ग की आयु सीमा का ही पालन करना होगा। वहीं, ओबीसी उम्मीदवारों को निर्धारित 7 प्रयासों में ही परीक्षा पास करनी होगी।

अभ्यर्थियों में निराशा:

कोर्ट के फैसले के बाद ओबीसी और EWS उम्मीदवारों में निराशा है। उम्मीदवारों का कहना है कि महामारी के कारण उनकी तैयारी प्रभावित हुई थी, ऐसे में अतिरिक्त प्रयास की अनुमति मिलनी चाहिए थी। वहीं, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि कोर्ट का फैसला संविधान और परीक्षा नियमों के अनुसार सही है।


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