
नई दिल्ली, 01 मार्च 2025 (एसडी न्यूज़ एजेंसी) ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अमेज़न को भारतीय कानूनों का बार-बार उल्लंघन करने के एक और मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने बेवरली हिल्स पोलो क्लब ट्रेडमार्क के उल्लंघन के मामले में अमेज़न पर 39 मिलियन डॉलर (लगभग 325 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया है।
यह मामला तब सामने आया जब अमेज़न इंडिया के प्लेटफॉर्म पर बेवरली हिल्स पोलो क्लब ब्रांड के नाम और समान लोगो के तहत कपड़े बेचे जा रहे थे। यह सीधे तौर पर कंपनी के बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights – IPR) का उल्लंघन माना गया। अदालत ने इस फैसले में स्पष्ट किया कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को ट्रेडमार्क कानूनों का पालन करना अनिवार्य होगा और नकली या अवैध उत्पादों की बिक्री की जिम्मेदारी भी उन पर होगी।
ब्रांड मालिकों के लिए बड़ी जीत
इस फैसले को ब्रांड मालिकों के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है। भारतीय न्यायपालिका ने यह संदेश दिया है कि डिजिटल युग में भी बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) की सुरक्षा सर्वोपरि है। यह फैसला अन्य ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर भी प्रभाव डालेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि ब्रांड की पहचान और अखंडता को बनाए रखने के लिए कंपनियां कड़े उपाय अपनाएं।
अमेज़न का कानूनी उल्लंघनों का लंबा इतिहास
अमेज़न पहले भी नकली उत्पादों की बिक्री, कर चोरी और भारत के ई-कॉमर्स नियमों के उल्लंघन जैसे आरोपों में घिर चुका है। बार-बार चेतावनी और कानूनी कार्रवाई के बावजूद, यह प्लेटफॉर्म छोटे व्यवसायों का शोषण करने, उपभोक्ताओं को गुमराह करने और भारतीय कानूनों की अनदेखी करने में लिप्त रहा है।
यह नवीनतम न्यायालय का आदेश इस बात को प्रमाणित करता है कि अमेज़न की व्यावसायिक प्रथाएं गैर-जिम्मेदाराना हैं और यह अपने प्लेटफॉर्म पर अनुपालन सुनिश्चित करने में विफल रहा है।
भारतीय व्यापारिक संगठनों की सख्त प्रतिक्रिया
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने भारत सरकार और नियामक संस्थाओं से अनुरोध किया है कि वे अमेज़न की लगातार हो रही अनैतिक व्यापारिक गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
CAIT ने यह भी कहा कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा अपनाए जा रहे अनैतिक और अवैध व्यापारिक तौर-तरीकों पर रोक लगाने के लिए सख्त नीतियां लागू की जानी चाहिए, ताकि भारतीय व्यापारियों और उपभोक्ताओं को किसी प्रकार की क्षति न पहुंचे।
सख्त नियामक निगरानी की जरूरत
यह मामला इस ओर भी इशारा करता है कि भारत में संचालित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को अपने मंच पर हो रही अवैध और अनैतिक गतिविधियों के लिए जवाबदेह ठहराना आवश्यक है। अब समय आ गया है कि सख्त नियामक निगरानी और दंडात्मक कार्रवाई की जाए, ताकि बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारतीय व्यापार तंत्र को कमजोर करने से बाज आएं और व्यापारियों, उपभोक्ताओं तथा ब्रांड मालिकों के अधिकारों की रक्षा हो सके।
(एसडी न्यूज़ एजेंसी)
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