किसी भी न्याय प्रणाली को तभी सशक्त माना जाएगा जब वह समावेशी हो: राष्ट्रपति मुर्मू

गांधीनगर, 28 फरवरी (एसडी न्यूज़ एजेंसी) – राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अपराध पर नियंत्रण, अपराधियों में पकड़े जाने और सजा मिलने का डर तथा आम लोगों में न्याय मिलने का भरोसा सुशासन की पहचान है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी न्यायिक प्रणाली को तभी सशक्त माना जाएगा जब वह वास्तव में समावेशी हो।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि 2024 में लागू हुए तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय व्यवस्था के इतिहास में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का प्रतीक हैं। उन्होंने इस अवसर पर छात्रों से अपील की कि वे यह सुनिश्चित करें कि समाज में किसी भी व्यक्ति को वित्तीय कारणों से न्याय से वंचित न रहना पड़े।

उन्होंने कहा, “हम एक न्याय आधारित समाज की ओर बढ़ रहे हैं, जहां परंपरा और विकास साथ-साथ चलेंगे। समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से कमजोर और वंचित लोगों को न्याय सुलभ कराना हमारी न्याय प्रणाली की प्राथमिकता होनी चाहिए।”

इस कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी उपस्थित रहे।

राष्ट्रपति ने फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के छात्रों से आह्वान किया कि वे अपने ज्ञान और योग्यता का उपयोग देश के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाने के लिए करें। उन्होंने कहा, “आपको इस तरह से कार्य करना चाहिए कि समाज का हर व्यक्ति न्याय प्राप्त कर सके और किसी को भी वित्तीय बाधाओं के कारण न्याय से वंचित न होना पड़े।”

राष्ट्रपति के इस संबोधन से न्याय प्रणाली की समावेशिता और सुशासन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।


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