प्यारी सी शरारत का इंतज़ार है
प्यारी सी शरारत का इंतज़ार है,
दोस्तो की चाहत का इंतज़ार है,
आज बड़ी बैचैन है दिल की धड़कने,
अब यारों की अदालत का इन्तजार है।
एक जमाना हुआ उनसे गले लगे,
उसी खिलखिलाहट का इंतज़ार है,
अब दोस्त मिलते नही भटके हुए,
दुश्मनो से ही दावत का इंतज़ार है,
कभी घिरे होते थे यारो की भीड़ में,
अंजानो से उसी राहत का इंतज़ार है।
जिंदगी की शाम हो गयी अब शायद,
बचपन की चहचहाट का इंतज़ार है
फरेबी निकली उम्र इस पायदान पर
संजीव किसी आहट का इंतज़ार है।
संजीव ठाकुर,रायपुर
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