मार्च 1990 के प्रमुख न्यायिक मामले – विस्तृत रिपोर्ट

मार्च 1990 में भारतीय न्यायिक प्रणाली में कई महत्वपूर्ण फैसले आए, जिन्होंने कानून की व्याख्या और संवैधानिक अधिकारों को स्पष्ट किया। इस रिपोर्ट में उन प्रमुख मामलों की संक्षिप्त विवेचना की गई है, जो उस समय सुर्खियों में रहे।


1. माइनिंग केस – इंडिया सीमेंट बनाम तमिलनाडु राज्य

मामला:

  • यह मामला खनन अधिकारों और उनके कराधान से जुड़ा था।
  • 1989 तक, “इंडिया सीमेंट बनाम तमिलनाडु राज्य” (India Cement v. State of Tamil Nadu) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया था कि खनिजों पर रॉयल्टी एक प्रकार का कर (Tax) है।
  • राज्य सरकारें इसे कर के रूप में वसूल सकती थीं।

मार्च 1990 में फैसला:

  • सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय को पलटते हुए कहा कि रॉयल्टी कर नहीं, बल्कि एक “कंसिडरेशन” (consideration) है, जो खनिजों के दोहन के विशेषाधिकार के लिए दी जाती है।
  • इस फैसले के बाद, राज्य सरकारों को खनन रॉयल्टी पर कर लगाने का अधिकार नहीं मिला।

महत्व:

  • यह निर्णय भारत के खनन उद्योग के लिए ऐतिहासिक था।
  • राज्यों की राजस्व नीति पर इसका सीधा प्रभाव पड़ा।
  • संविधान के अनुच्छेद 246A और एंट्री 49 व 50 की व्याख्या की गई।

2. अनुच्छेद 141 और सुप्रीम कोर्ट का अधिकार क्षेत्र

मामला:

  • सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसके फैसले पूरे भारत में बाध्यकारी होते हैं।
  • न्यायालय ने यह भी कहा कि किसी विशेष स्थिति में वह यह तय कर सकता है कि उसका फैसला मिसाल (precedent) नहीं बनेगा।

महत्व:

  • इस फैसले ने भारत में कानूनी मिसालों (Legal Precedents) की स्थिति को मजबूत किया।
  • निचली अदालतों को स्पष्ट कर दिया गया कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का पालन करने के लिए बाध्य हैं।

3. एक महत्वपूर्ण आपराधिक मामला: हत्या और दंगे

मामला:

  • 1990 में कुछ बड़े आपराधिक मामले भी सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में चर्चा में रहे।
  • इनमें से एक महत्वपूर्ण मामला मुंबई और अन्य शहरों में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़ा था।

न्यायालय का रुख:

  • सुप्रीम कोर्ट ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाने का आदेश दिया।
  • यह फैसला बाद में पुलिस प्रशासन और कानून व्यवस्था से जुड़े मामलों में एक महत्वपूर्ण संदर्भ बना।

निष्कर्ष

मार्च 1990 के दौरान भारतीय न्यायिक व्यवस्था में कई ऐतिहासिक फैसले दिए गए, जो खनन कराधान, न्यायिक मिसालों और आपराधिक न्याय प्रणाली को प्रभावित करने वाले थे। इन मामलों ने कानून के व्यापक ढांचे को मजबूत किया और आगे आने वाले वर्षों में कानूनी व्यवस्था को प्रभावित किया।

यदि आप किसी विशेष न्यायिक मामले पर अधिक गहन रिपोर्ट चाहते हैं, तो कृपया बताएं।


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