फिर शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा, भारत-चीन में बनी सहमति; दिल्ली-बीजिंग के बीच शुरू होगी सीधी उड़ान

नई दिल्ली/बीजिंग: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को सुलझाने और शांति स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। दरअसल, 2020 से बंद पड़ी कैलाश मानसरोवर यात्रा अब एक बार फिर से शुरू होने जा रही है।

कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होगी

भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत और चीन ने 2025 की गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। यह घोषणा सोमवार को बीजिंग में विदेश सचिव विक्रम मिस्री और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बैठक के बाद की गई।

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि विदेश सचिव ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय विभाग के मंत्री लियू जियानचाओ से भी मुलाकात की।

भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा

विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि विक्रम मिस्री ने 26-27 जनवरी को बीजिंग में भारत-चीन के बीच विदेश सचिव-उप विदेश मंत्री तंत्र की बैठक में भाग लिया। इस बैठक में दोनों पक्षों ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की व्यापक समीक्षा की और इन संबंधों को स्थिर और पुनर्निर्माण करने के लिए कुछ जन-केंद्रित कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की।

सीधी हवाई सेवाओं की बहाली

विदेश मंत्रालय ने यह भी जानकारी दी कि दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवाओं की बहाली होगी। इस उद्देश्य के लिए संबंधित तकनीकी अधिकारी जल्द ही बैठक करेंगे और इसकी रूपरेखा पर चर्चा करेंगे।

स्मारक गतिविधियों का आयोजन

भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ 2025 में मनाई जाएगी। इस अवसर पर दोनों देशों ने निर्णय लिया है कि इस वर्षगांठ का उपयोग आपसी समझ, विश्वास और सहयोग को बढ़ाने के लिए किया जाएगा। दोनों देशों द्वारा इस वर्षगांठ के उपलक्ष्य में कई स्मारक गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।

चीनी पक्ष का बयान

चीनी पक्ष ने भी इस समझौते को लेकर अपना बयान जारी किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कज़ान में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक के बाद से चीन-भारत संबंधों में सुधार की प्रक्रिया में तेजी आई है।

चीनी बयान में कहा गया, “दोनों पक्षों को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए और आपसी समझ, समर्थन और उपलब्धियों के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए, जिससे दोनों देशों और उनके लोगों के मौलिक हितों की रक्षा की जा सके और वैश्विक दक्षिण देशों के वैध अधिकारों की भी रक्षा हो सके।”

दोनों देशों के संबंधों के सुधार और विकास को एशिया और दुनिया में शांति, स्थिरता, विकास और समृद्धि लाने के लिए एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।


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