महापुरुषों की प्रतिमाओं पर उपेक्षा: गणतंत्र दिवस समारोह में सवालों के घेरे में प्रशासन कांग्रेस नेता ने उठाए सवाल

गणतंत्र दिवस के विशेष आयोजन के दौरान कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। मुख्य आयोजन स्थलों पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के आदमकद बैनर, होर्डिंग्स और पोस्टर्स भव्य रूप से लगाए गए थे, लेकिन इन स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज अपेक्षाकृत छोटा रखा गया। यह राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान और गणतंत्र दिवस की गरिमा पर सवाल खड़े करता है। इसके साथ ही, महापुरुषों, बलिदानी शहीदों और स्वतंत्रता संग्राम के नायकों की प्रतिमाओं पर प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया। उदाहरण के तौर पर, राजमोहल्ला स्थित भगत सिंह की प्रतिमा पर गंदा और कटा-फटा राष्ट्रीय ध्वज लगा हुआ था, जबकि पास ही स्टैंड पर अन्य झंडे लगे देखे गए। सवाल यह उठता है कि नगर निगम और प्रशासन इन प्रतिमाओं के आसपास रोशनी क्यों नहीं करवा सके?

गणतंत्र दिवस के अवसर पर जहां-जहां झंडे फहराने के लिए स्टैंड उपलब्ध थे, वहां राष्ट्रीय ध्वज क्यों नहीं फहराया गया? मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता एडवोकेट प्रमोद कुमार द्विवेदी ने सीधे तौर पर भाजपा सरकार, जिला प्रशासन और नगर निगम परिषद पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “भाजपा नेताओं का महिमामंडन करने के लिए सरकारी धन का बेजा उपयोग किया गया, लेकिन महापुरुषों, बलिदानी शहीदों और स्वतंत्रता संग्राम के नायकों की प्रतिमाओं की उपेक्षा कर दी गई।”

एडवोकेट द्विवेदी ने आगे कहा, “यह इसलिए हुआ क्योंकि ये महापुरुष और बलिदानी शहीद संघ की विचारधारा से नहीं जुड़े थे। भाजपा और संघ का यह चरित्र इस घटना से साफ झलकता है।” उन्होंने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि राष्ट्रीय संपत्तियों, शासकीय कार्यालयों और नगर निगम कार्यालयों पर तो भव्य रोशनी की गई, लेकिन महापुरुषों की प्रतिमाओं को रोशन करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। यह न केवल गणतंत्र दिवस की गरिमा का हनन है, बल्कि राष्ट्रीय नेताओं और शहीदों का अपमान भी है। प्रशासन और भाजपा सरकार के इस रवैये पर जनता और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी नाराजगी व्यक्त की है।

उनका कहना है कि महापुरुषों की प्रतिमाओं का सम्मान करना न केवल हमारा नैतिक कर्तव्य है, बल्कि यह राष्ट्रीय भावना को मजबूत करने का एक जरिया भी है। (एडवोकेट प्रमोद कुमार द्विवेदी, प्रवक्ता, मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी)


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