शंखध्वनि के बीच निकली खुशियों की बारात, 11 युगल बंधे विवाह सूत्र में – लिया आठवां फेरा पर्यावरण के नाम

 

🕊 संपूर्ण वैदिक विधि से सामूहिक विवाह, पौधरोपण का लिया संकल्प
📍 इंदौर | 1 मई 2025 | | एसडी न्यूज़ एजेंसी


इंदौर के छोटा बांगड़दा स्थित बाबाश्री रिसोर्ट गुरुवार को साक्षी बना एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक आयोजन का, जहाँ विश्व ब्राह्मण समाज संघ की मेजबानी में सर्व समाज के 11 युगलों ने वैदिक रीति-रिवाज़ों से विवाह किया। लेकिन यह केवल परंपरा नहीं थी—इन नवविवाहित जोड़ों ने ‘आठवां फेरा’ पर्यावरण संरक्षण के नाम भी लिया, जिसमें उन्होंने वर्षा ऋतु में कम से कम पांच पौधे लगाने और उन्हें संरक्षित करने का संकल्प लिया।

संघ ने दी घर जैसी शादी, वर-वधुओं को मिली गृहस्थी की पूरी सामग्री

इस विवाह समारोह में न केवल सात फेरे लिए गए, बल्कि नवविवाहित जोड़ों को गृहस्थ जीवन की शुरुआत के लिए अलमारी, पलंग, कूलर, बर्तन सेट, मंगलसूत्र, गद्दे-साज, साड़ियाँ और श्रृंगार सामग्री जैसी आवश्यक वस्तुएं भी उपहार में दी गईं। साथ ही, भविष्य में विवाह करने वाले पाँच अन्य युगलों को भी गृहस्थी की सामग्री भेंट की गई।

संत-महंतों की मौजूदगी में मंत्रोच्चार और शोभायात्रा

आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक के निर्देशन में विवाह की वैदिक विधि संपन्न हुई। शोभायात्रा में दूल्हे घोड़ी पर, दुल्हनें पारंपरिक बग्घियों में सवार होकर परिसर में निकलीं। बैंड-बाजों की मंगल ध्वनि और शंखनाद के बीच, महामंडलेश्वर पवनदास महाराज, स्वामी पवनानंद, राधे-राधे बाबा, और अन्य संतों ने नवयुगलों को आशीर्वाद दिया।

गणमान्य अतिथियों ने किया स्वागत, बोले – ऐसी शादी पहले कभी नहीं देखी

समारोह में सांसद शंकर लालवानी, समाजसेवी स्वप्निल कोठारी, पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, विजय-गोयल परिवार, बालकिशन छावछरिया, राहुल जैन सहित शहर के कई प्रमुख नागरिक और समाजसेवी उपस्थित रहे। सभी ने सामूहिक विवाह की भव्यता और व्यवस्था की मुक्तकंठ से सराहना की, और कहा कि यह आयोजन किसी पारंपरिक शादी से कम नहीं बल्कि उससे कहीं बढ़कर था।

“यह विवाह नहीं, सामाजिक समरसता का उत्सव था” – पं. योगेन्द्र महंत

आयोजन समिति के प्रमुख और विश्व ब्राह्मण समाज संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. योगेन्द्र महंत ने बताया कि यह आयोजन ब्रह्मलीन समाजसेवी रमेशचंद्र अग्रवाल की स्मृति को समर्पित था। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य सिर्फ विवाह कराना नहीं, बल्कि समाज में एक समरस, पर्यावरण-संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक भावना को जागृत करना है।”

विदाई की बेला में छलके भावुक अश्रु, पर साथ थी उम्मीद की सौगात

आखिर में जब नवविवाहित युगल विदा हुए, उनकी आँखों में भावुकता थी लेकिन साथ ही था एक नया जीवन शुरू करने का आत्मविश्वास—जो उन्हें मिला घर जैसी शादी और समाज की शुभकामनाओं से।


🕊 यह केवल विवाह नहीं था, यह था समाज में प्रेम, समर्पण और पर्यावरण चेतना का एक दिव्य संगम।


 


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