
नगर परिषद की कार्यप्रणाली पर उठते सवाल
पेटलावद, 21 अप्रैल 2025 | एस.डी. न्यूज़ एजेंसी
पेटलावद नगर परिषद एक बार फिर अपनी विवादास्पद और बेतुकी कार्यप्रणाली के कारण सुर्खियों में है। चाहे मामला पेटलावद हादसे में प्रशासनिक लापरवाही का हो या फिर स्वच्छता सर्वेक्षण और जल गंगा संवर्धन अभियान में कार्यशैली की असफलता का—नगर परिषद की निष्क्रियता और अनदेखी पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं।
नगर के विकास में जहाँ जनप्रतिनिधियों की सक्रियता अपेक्षित होती है, वहीं नगर परिषद के कुछ अधिकारी और कर्मचारी विकास की राह में बाधा बनते नजर आ रहे हैं।
पत्रकारों को फोन कर पूछे गए ‘बकाया बिल’ के सवाल
दिनांक 21 अप्रैल 2025 को सुबह 11:26 बजे, एक स्थानीय पत्रकार को मोबाइल नंबर 9926041118 से कॉल आया। कॉल करने वाले व्यक्ति ने स्वयं को नगर परिषद से मुकेश सोलंकी बताते हुए कहा—
“हेलो… मैं नगर परिषद से मुकेश सोलंकी बोल रहा हूँ। आपका अखबार कौन सा है? क्या आपका कोई बिल नगर परिषद में बकाया है?”
पत्रकार द्वारा जब यह पूछा गया कि अचानक आपको बिल की याद आज ही क्यों आई, तो जवाब मिला—
“मुझे तो मैडम ने कहा है कि उनसे पूछो… कोई बिल बकाया है क्या।”
इस घटनाक्रम ने नगर के मीडिया जगत में आशंका और संदेह की लहर पैदा कर दी है। आखिर अचानक पत्रकारों को फोन कर बिल की जानकारी क्यों मांगी जा रही है? क्या यह पत्रकारों पर दबाव बनाने का नया तरीका है? या फिर नगर परिषद की ओर से किसी नए षड्यंत्र की भूमिका तैयार की जा रही है?
पत्रकारों की खरी प्रतिक्रिया: “ना प्रलोभन, ना षड्यंत्र स्वीकार”
पत्रकारों का स्पष्ट कहना है कि—
“हम न तो प्रलोभन में आने वाले हैं और न ही किसी षड्यंत्र में फंसने वाले हैं। हमारा कर्तव्य सच को सामने लाना है और वह निरंतर जारी रहेगा। खबरें रुकेंगी नहीं—चाहे कितनी भी कोशिशें कर ली जाएं।”
नगर परिषद की यह हरकत न सिर्फ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला मानी जा रही है, बल्कि सूचना का दमन करने का प्रयास भी समझा जा रहा है। इस घटनाक्रम ने यह भी उजागर किया कि जब पत्रकार सच्चाई को सामने लाते हैं, तब कुछ प्रशासनिक तंत्र बौखलाहट में साम-दाम-दंड-भेद अपनाने से भी नहीं चूकते।
रिपोर्ट: निलेश सोनी | पेटलावद
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