प्रथम तपागच्छीय महाधिवेशन में आचार संहिता सहित अनेक सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दों पर हुआ मंथन

 

व्यापार, कृषि, परंपराओं और धार्मिक मर्यादाओं के संरक्षण हेतु एकजुट होने का संकल्प – डॉ. मुक्तिसागर सूरीश्वर

इंदौर, 21 अप्रैल 2025 | एस.डी. न्यूज़ एजेंसी
समग्र जैन श्वेताम्बर तपागच्छ श्रीसंघ, इंदौर की मेजबानी में रविवार को पहली बार शहर में तपागच्छ जैन समुदाय का महाधिवेशन भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस अवसर पर मालव मार्तण्ड प.पू. डॉ. मुक्तिसागर सूरीश्वर म.सा. के सान्निध्य में मालवा अंचल के 40 से अधिक श्रीसंघों सहित इंदौर के सैकड़ों प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

महाधिवेशन में समाज को एकजुट करने, भगवान महावीर स्वामी के आदर्शों पर आधारित आचार संहिता का पालन, व्यापार, कृषि, सामाजिक परंपराओं, आर्थिक लेन-देन और धार्मिक-सांस्कृतिक मर्यादाओं के संरक्षण पर गहन विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान समाज के सभी सदस्यों की जानकारी को कम्प्यूटरीकृत करने का निर्णय भी लिया गया।

रेसकोर्स रोड स्थित बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स में आयोजित इस महाधिवेशन की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। इस अवसर पर प.पू. डॉ. मुक्तिसागर सूरीश्वर म.सा. सहित शहर में विराजित अनेक साधु-साध्वी भगवंतों की पावन निश्रा रही।

स्वागत भाषण डॉ. प्रकाश बांगानी ने दिया, वहीं कार्याध्यक्ष पुण्यपाल सुराना, महासचिव यशवंत जैन और संयोजक कैलाश नाहर ने सभी प्रतिनिधियों का अभिनंदन किया। विषय प्रस्तुति संयोजक मंडल के प्रीतेश ओस्तवाल, शेखर गेलड़ा, सौमिल कोठारी एवं पुंडरिक पालरेचा द्वारा की गई।

तपागच्छ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि साझा करते हुए प्रीतेश ओस्तवाल ने बताया कि सुधर्मा स्वामी की साधु परंपरा से लेकर तप की प्रधानता तक, अनेक गच्छों के उद्भव के पश्चात तपागच्छ की स्थापना हुई। वर्तमान में देशभर में तपागच्छ के 12,000 से अधिक साधु-साध्वी और इंदौर में ही 9,000 से अधिक परिवार और 35,000 से अधिक साधार्मिक बंधु निवासरत हैं।

अन्य वक्ताओं में पुण्यपाल सुराना, कैलाश नाहर, विजय मेहता ने भी समाज संगठन को मजबूत बनाने हेतु विचार साझा किए। इस अवसर पर शहर के समस्त जैन श्रीसंघों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति रही। महाधिवेशन के मुख्य लाभार्थी बादलदेवी टोडरमल कटारिया परिवार का विशेष बहुमान किया गया।

समारोह में देवसुर तपागच्छ समाचारी पत्रिका का विमोचन कर समाजबंधुओं को निःशुल्क वितरण किया गया। संचालन शेखर गेलड़ा ने किया और आभार ज्ञापन पुंडरिक पालरेचा ने किया।

महाधिवेशन के दौरान मालव मार्तण्ड प.पू. डॉ. मुक्तिसागर सूरीश्वर म.सा. की निश्रा में नागेश्वर तीर्थ के सचिव धरमचंद जैन एवं इंदौर के महेन्द्र गुरूजी को “तपागच्छ रत्न” से सम्मानित किया गया।

अहमदाबाद से आए समाजसेवी भूषणभाई ने आयोजन के प्रति समर्थन और स्नेह व्यक्त किया। अपने आशीर्वचन में डॉ. मुक्तिसागर म.सा. ने कहा कि – “जैन मत को फैलाने के लिए समाज की संरचना में जनसंख्या, कृषि, व्यापार, स्वास्थ्य, परिवार और वैय्यावृत सहित सभी क्षेत्रों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।”

मुनि ऋषभचंद्र सागर म.सा. ने तपागच्छ को “2500 वर्ष पुराना ऐसा सोने का सिक्का बताया जिसकी शुद्धता और मूल्य सदैव अटल रहता है।”

अंत में समाज की समृद्धि, संगठन की मजबूती, तप के प्रचार-प्रसार और धार्मिक परंपराओं के संरक्षण हेतु कई महत्वपूर्ण संकल्प पारित किए गए।


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