
📍 16 अप्रैल | एस.डी. न्यूज़ एजेंसी
प्रो. (डॉ.) श्याम सुन्दर पलोड ने जैन संतों पर हमले को लेकर एक तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “रे मूर्खों, तुमने संतों को भी नहीं छोड़ा। उन पर हमला किया, उन्हें पीटा और दौड़ा-दौड़ा कर उनके आचरण का अपमान किया। यह कैसी मोहब्बत है जो सिर्फ नोटों की लिप्सा में हो?”
उन्होंने संतों की अति विशिष्टता और त्याग की ओर इशारा करते हुए कहा कि जैन संतों का जीवन अहिंसा, सादगी, और अपरिग्रह का प्रतीक है। वे समाज को त्याग, तप और शांति का पाठ पढ़ा रहे हैं, जबकि हमलावर उनके शरीर को कष्ट देकर अपने ही पापों का बीज बो रहे हैं। संत समाज का धैर्य और दया अत्यधिक है, और वे ऐसे हमलावरों को माफ कर सकते हैं, लेकिन समाज के जिम्मेदार नागरिक उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे।
प्रो. पलोड ने कहा, “जो पापी इस संतों पर आक्रमण करते हैं, उन्हें अब इस दुष्कर्म का फल भुगतना पड़ेगा। उनका जीवन आत्मग्लानि से भरा रहेगा, और वे नरक के रास्ते पर चलेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि संत समाज, जो समाज को जोड़ने का काम करता है, उन पर हमला करना एक गंभीर अपराध है।
उन्होंने चेतावनी दी, “हमारी आस्थाओं पर हमला किया गया तो हमारी आत्मा तुम्हें दंड दे सकती है। संतों के आचरण और उनके समर्पण का अपमान करने से बचो, क्योंकि वे ही समाज के सृजनकर्ता हैं।”
लेखक ने यह भी कहा, “वक्त आने पर हम भी कायर नहीं, बल्कि अंगारों की तरह अपनी प्रतिक्रिया देंगे।” उन्होंने यह उम्मीद जताई कि इस अपराध को करने वाले हमलावरों को जल्द ही सद्बुद्धि प्राप्त हो, और वे पाप की बजाय पुण्य की दिशा में कदम बढ़ाएं।
यह संदेश साफ है कि समाज में संतों का स्थान सम्मानजनक है और उनकी उपेक्षा या अपमान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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