पेयजल टंकी बनी ‘सो पीस’, पानी के लिए तरस रहे ग्रामीण

आजादी के दशकों बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों की बुनियादी समस्याएं जस की तस

📍 भगवानपुरा | 16 अप्रैल | एस.डी. न्यूज़ एजेंसी
आजादी के दशकों बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। कई सरकारें बदलीं, जनप्रतिनिधि बदले, और योजनाएं भी बदलीं, लेकिन समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार ने जल जीवन मिशन और नल जल योजना शुरू की है, लेकिन ठेकेदारों और सरकार के नुमाइंदों की मिलीभगत के कारण क्षेत्र की कई नल जल योजनाएं अभी भी अधूरी पड़ी हैं।

भगवानपुरा के पास स्थित पिपल्याबावड़ी के घुसाई फालिया का मामला सामने आया है, जहां लगभग 3 करोड़ 58 लाख 59 हजार की लागत से पेयजल टंकी बनाई गई थी, लेकिन यह टंकी बिना पानी के “सो पीस” बनकर रह गई। इस टंकी के निर्माण को करीब दो साल हो चुके हैं, लेकिन ग्रामीणों को आज भी पानी के लिए 2 किलोमीटर दूर स्थित कच्चे कुएं और बावड़ियों से पानी लाने की परेशानी झेलनी पड़ती है।

ग्रामीणों का कहना है कि जब टंकी बनी थी, तो उन्हें उम्मीद थी कि अब पानी की समस्या हल हो जाएगी, लेकिन अब यह केवल दिखाने के लिए बनाई गई है। कुरमा बाई ने बताया कि पानी की व्यवस्था के लिए उन्हें कुएं का रुख करना पड़ता है, और कुएं में उतरने में कठिनाई होती है, इसलिए उन्हें किसी साथी की मदद लेनी पड़ती है।

श्यानी बाई ने भी अपनी परेशानी साझा की, कहती हैं, “रोज सुबह मजदूरी पर जाने से पहले पानी की चिंता सताती है। कुएं में उतरना मुश्किल है, इसलिए साथ में किसी को लाना पड़ता है।” ग्रामीण रमेश ने बताया कि उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि उनका गांव भगवानपुरा पंचायत में आता है, और न तो सरपंच आते हैं और न ही सचिव

रमेश की पत्नी सुरभी ने अपनी समस्या को साझा करते हुए कहा, “हमें टंकी का पानी न मिले तो कोई बात नहीं, कम से कम एक हैंडपंप ही लगा दिया जाए, ताकि कुएं में गिरने का डर न हो।”

समस्या बड़ी विकट, जिम्मेदारों की उपेक्षा
इस मामले में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सब इंजीनियर चंदन सिंह जमरा से जानकारी ली गई, लेकिन उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया और कहा कि वह बाहर हैं। इसी कारण योजनाएं अधूरी पड़ी हैं और ठेकेदारों को बचाया जा रहा है।

सरपंच ज्ञानसिंह डावर से बात करने पर उन्होंने बताया कि टंकी और पाइप लाइन का कार्य अधूरा पड़ा है, इस कारण पंचायत ने इसे अपने हाथ में नहीं लिया। उन्होंने कहा कि विभाग को चिट्ठी लिखी गई है, लेकिन ठेकेदार अभी तक कार्य पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

📌 रिपोर्ट: संजय बाबा यादव

 

 


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