
रडार सिस्टम में तकनीकी गड़बड़ी के चलते प्रक्षेपण फिलहाल टला
चेन्नई, 14 अप्रैल (एस.डी. न्यूज़ एजेंसी)।
भारत और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसियां — इसरो (ISRO) और नासा (NASA) — संयुक्त रूप से विकसित निसार (NISAR) उपग्रह मिशन की प्रक्षेपण तिथि की पुनः समीक्षा कर रही हैं। यह समीक्षा रडार सिस्टम से जुड़े तकनीकी मुद्दों के चलते की जा रही है, जिससे प्रक्षेपण में देरी हुई है।
इसरो के सूत्रों के अनुसार, निसार उपग्रह को पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में स्थापित किया जाएगा। इसका परीक्षण बेंगलुरु स्थित इसरो की सुविधा में सफलतापूर्वक किया जा चुका है। पहले इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में प्रक्षेपण के लिए स्थानांतरित किया गया था, लेकिन तकनीकी समस्या के कारण फिलहाल इसे वापस बेंगलुरु लाया गया है।
क्या है निसार मिशन?
निसार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) मिशन, पृथ्वी की सतह पर होने वाले परिवर्तनों की निगरानी के लिए एक उन्नत रडार प्रणाली से युक्त उपग्रह है। यह मिशन हर 12 दिनों में पूरे विश्व का मानचित्रण करेगा और पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र, बर्फ के द्रव्यमान, वनस्पति, समुद्र-स्तर में वृद्धि, भूजल स्तर तथा प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन के अध्ययन में सहायक होगा।
प्रक्षेपण अब वर्ष के अंत तक संभावित
नासा ने अपनी वेबसाइट पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि निसार उपग्रह पर रिफ्लेक्टर एंटीना में एक तकनीकी खामी पाई गई है, जो इसकी रडार प्रणाली का मुख्य घटक है। इस गड़बड़ी के कारण अब मिशन का प्रक्षेपण वर्ष के उत्तरार्ध तक के लिए टाल दिया गया है। नासा और इसरो द्वारा इस खामी को दूर करने के बाद नई प्रक्षेपण तिथि घोषित की जाएगी।
वैज्ञानिकों को उम्मीद
विशेषज्ञों का मानना है कि निसार मिशन, पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा और जलवायु परिवर्तन की समझ को नई दिशा देगा। यह मिशन भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
(रिपोर्ट – एस.डी. न्यूज़ एजेंसी)
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