
नई दिल्ली।
भारत और इंडोनेशिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों ने नई ऊंचाइयों को छू लिया है। दोनों देशों ने संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए आज कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें रक्षा विनिर्माण और आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्रों में संयुक्त सहयोग की सहमति भी शामिल है। इन समझौतों से जहां दोनों देशों के रिश्ते मजबूत होंगे, वहीं यह कदम चीन को भी स्पष्ट संदेश देता है।
गौरतलब है कि इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रबोवो सुबियांटो गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर भारत के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी मेजबानी की और उनके साथ विभिन्न मुद्दों पर वार्ता की।
गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि
इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री प्रबोवो सुबियांटो रविवार को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कर्तव्य पथ पर उपस्थित होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडोनेशिया को दक्षिण-पूर्व एशिया के 10 देशों के आसियान ब्लॉक और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत का “महत्वपूर्ण साझेदार” बताया।
मोदी ने कहा कि भारत और इंडोनेशिया नियम-आधारित व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध हैं और यह सहयोग इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत के बीच और भी अधिक प्रासंगिक हो जाता है।
समुद्री सुरक्षा और अपराध पर रोक
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत और इंडोनेशिया ने रक्षा विनिर्माण और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर मिलकर काम करने का फैसला किया है। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा को लेकर एक समझौते पर भी हस्ताक्षर हुए हैं। यह समझौता अपराध की रोकथाम, खोज और बचाव अभियानों के साथ-साथ क्षमता निर्माण में सहयोग को मजबूत करेगा।
प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर
भारत और इंडोनेशिया के बीच जिन समझौतों पर सहमति बनी है, उनमें शामिल हैं:
- फिनटेक
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)
- इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT)
- समुद्री सुरक्षा
- साइबर सुरक्षा
- आतंकवाद-रोधी सहयोग
- कट्टरपंथ-विरोधी प्रयास
चीन को घेरने की रणनीति
भारत की यह कूटनीति स्पष्ट रूप से चीन को घेरने की दिशा में एक अहम कदम है। भारत पहले ही कई देशों को हथियारों की आपूर्ति कर रहा है, और अब इस सूची में इंडोनेशिया भी शामिल हो गया है। जानकारी के अनुसार, भारत के “ब्रह्मास्त्र” कहे जाने वाले ब्रह्मोस मिसाइल को इंडोनेशिया खरीदने जा रहा है। इस पर दोनों देशों के बीच सौदा तय हो चुका है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत का बढ़ता प्रभाव
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन का दबदबा कम करने के लिए भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को बेहतर बनाने में जुटा है। इंडोनेशिया के साथ यह सहयोग न केवल सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम न केवल भारत और इंडोनेशिया के संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को भी सुदृढ़ करेगा।
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