
3500 श्रद्धालुओं ने सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ में लिया भाग, 4000 से अधिक ने प्रसादी का लाभ लिया
पेटलावद, 13 अप्रैल (एस.डी. न्यूज़ एजेंसी)।
हनुमान जन्मोत्सव के पावन अवसर पर शत्रुहंता सूर्यमुखी हनुमान मंदिर समिति के तत्वाधान में पेटलावद नगर में निकाली गई भव्य, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध कलश यात्रा में 1800 से अधिक महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में कलश लेकर सहभागिता की। यात्रा में 300 बालिकाएं सफेद वेशभूषा में शक्ति के नौ स्वरूपों तथा भारत की वीरांगनाओं की झांकियां लेकर चल रही थीं। इस दौरान अंतरिक्ष यात्री सुनिता विलियम्स की झांकी ने भी आधुनिक भारत की महिला शक्ति को दर्शाया।
🌸 यात्रा के पांच नवाचार जो परंपरा से हटकर रहे:
- हर कदम बेटी के नाम: प्रत्येक महिला ने अपने कलश पर अपनी बेटी या किसी अन्य बालिका का नाम अंकित किया और उनके उज्ज्वल भविष्य हेतु संकल्प लिया।
- महिला नेतृत्व: यात्रा की संपूर्ण कमान मातृशक्ति दुर्गा वाहिनी की सदस्यों ने संभाली।
- नवीन सांस्कृतिक प्रस्तुति: ‘शक्ति संग भक्ति चलो’ थीम पर लोककलाओं और वीरांगनाओं की झांकियां प्रस्तुत की गईं।
- शोरगुल रहित यात्रा: बिना डीजे, माइक और ध्वनि प्रदूषण के यह शांतिपूर्ण, अनुशासित और भक्तिपूर्ण यात्रा रही।
- समर्पित ध्वज और सामूहिक पाठ: कीर्ति स्तंभ पर नवीन ध्वजा वंदन तथा 3500 श्रद्धालुओं द्वारा एकसाथ हनुमान चालीसा का पाठ।
🕉️ यात्रा की शुरुआत एवं स्वागत समारोह:
यात्रा का शुभारंभ सुबह 8:30 बजे नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर से हुआ। नगर में विभिन्न स्थानों पर समाजसेवियों और संगठनों ने पुष्प वर्षा, कुल्फी वितरण और सांस्कृतिक स्वागत किया। स्वागत करने वालों में भंडारी परिवार, नगर परिषद पार्षद, पुराना नाका मित्र मंडल, ब्राह्मण समाज पेटलावद, लायंस क्लब पेटलावद सेंट्रल, रॉयल कैफे, सेवा भारती, ओपी चोयल परिवार, रूपगढ़ सीरवी समाज व कन्हैयालाल राठौर परिवार शामिल रहे।
📿 सामूहिक भक्ति का अनूठा दृश्य:
सुबह 5 बजे से भगवान हनुमान जी की विशेष पूजा-अर्चना और यज्ञ हुआ, जिसमें मुख्य यजमान आकाश चौहान रहे।
इसके पश्चात कीर्ति स्तंभ पर नवीन ध्वजा फहराई गई। सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ में 3500 श्रद्धालुओं ने भाग लिया, जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग बाद में क्षेत्रीय मंदिरों और सोशल मीडिया पर साझा की जाएगी।
🍛 भव्य महाप्रसादी एवं लोककलाओं का उत्सव:
10:30 बजे से प्रारंभ हुए महाप्रसादी भंडारे में 4000 से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की।
पूरे मार्ग पर हर 200 मीटर की दूरी पर झाबुआ अंचल की जनजातीय लोककलाएं, भीली गीत, आदिवासी नृत्य, मांदल गायन आदि की शानदार प्रस्तुतियाँ देखने को मिलीं।
इस यात्रा ने न केवल धार्मिक आस्था को एक नया आयाम दिया, बल्कि नारी शक्ति, बेटी बचाओ, लोकसंस्कृति और सामूहिकता के अद्भुत संगम का संदेश भी समाज को दिया।
🖋️ रिपोर्ट: अंतिम युद्ध – निलेश सोनी
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