
रतलाम, 13 अप्रैल (एस.डी. न्यूज़ एजेंसी)।
मानव सेवा का सर्वोच्च स्वरूप परोपकार है, और जब यह सेवा जीवन के बाद भी जारी रहती है, तो वह एक अमूल्य उपहार बन जाती है। रतलाम में दो परिवारों ने अपने दिवंगत स्वजनों के नेत्रदान कर समाज के समक्ष एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया। उल्लेखनीय है कि मात्र एक घंटे के अंतराल में दो नेत्रदान संपन्न हुए, जिससे दो दृष्टिहीन व्यक्तियों को नई रोशनी की आशा जगी है।
👁️ पहला नेत्रदान – मंडोवरा परिवार की पहल
दीनदयाल नगर निवासी प्रहलाद मंडोवरा के निधन उपरांत उनके पुत्र प्रस्थान मंडोवरा एवं प्रणयांश मंडोवरा सहित परिजनों ने, अरुण अग्रवाल, विनोद माहेश्वरी एवं आशीष लोहिया की प्रेरणा से नेत्रदान (कॉर्निया दान) का निर्णय लिया।
👁️ दूसरा नेत्रदान – तिवारी परिवार का स्वप्रेरित संकल्प
इसी प्रकार, शास्त्री नगर निवासी बद्रीप्रसाद तिवारी के निधन पर उनके पुत्र कैलाश तिवारी, अजय तिवारी, पौत्र अक्षय, राहुल, आयुष तिवारी एवं परिजनों ने स्वप्रेरणा से नेत्रदान का निर्णय लिया और संस्था के मृदुल मूणत को इसकी जानकारी दी।
⚕️ नेत्रदान की प्रक्रिया – तत्परता और सेवा भाव का परिचय
नेत्रम संस्था के हेमंत मूणत ने बताया कि परिजनों की सहमति प्राप्त होते ही गीता भवन न्यास, बड़नगर को सूचित किया गया। न्यास के ट्रस्टी एवं नेत्रदान प्रभारी डॉ. जी.एल. ददरवाल, अपनी टीम के सदस्य चंचल पाटीदार और मनीष तलाच के साथ तुरंत रतलाम पहुंचे और विधिवत नेत्रदान की प्रक्रिया संपन्न की।
👏 समाजसेवियों की उपस्थिति एवं सम्मान
इस अवसर पर ओमप्रकाश अग्रवाल, शीतल भंसाली, मीनू माथुर, भगवान ढलवानी, शलभ अग्रवाल, गिरधारीलाल वर्धानी, हेमलता मालपानी (मारवाड़ी महिला मंडल), रोहित मालपानी, हर्ष मालपानी, मोहित मालपानी, राहुल अग्रवाल, हरीश जेठवानी, एवं सतीश जेठवानी सहित अनेक समाजसेवी उपस्थित रहे।
नेत्रम संस्था द्वारा दोनों परिवारों को प्रशस्ति पत्र भेंट कर उनकी उदारता एवं समाजसेवा भावना को सम्मानित किया गया।
🌟 नेत्रम संस्था का संकल्प
संस्था ने इन परोपकारी परिवारों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए समाज में नेत्रदान के प्रति जागरूकता फैलाने का संकल्प दोहराया। यह प्रेरणादायी पहल निश्चित ही अन्य लोगों को भी इस महान कार्य हेतु प्रेरित करेगी तथा अनेकों दृष्टिहीनों के जीवन में उजाले की किरण लेकर आएगी।
🖋️ रिपोर्ट : अंतिम युद्ध – रिंकू रुनवाल