
क्या न्याय से पहले ‘जोड़-तोड़’ में लगी हैं सीएमओ?—नेताओं और अधिकारियों के दफ्तरों में लगाई जा रही हाजिरी!
पेटलावद, 11 अप्रैल (एस.डी. न्यूज़ एजेंसी)। 23 मार्च को पेटलावद में हुए भीषण हादसे को अब 15 दिन से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन अब तक मुख्य आरोपी नरसिंहदास बैरागी और अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। वहीं हादसे में गंभीर लापरवाही बरतने के आरोप नगर परिषद की मुख्य नगर अधिकारी (सीएमओ) आशा भंडारी पर लगे हैं। सूत्रों के अनुसार, कलेक्टर द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट में सीएमओ की लापरवाही स्पष्ट रूप से उजागर हुई है।
सूत्रों का कहना है कि जांच रिपोर्ट पूरी कर कलेक्टर को सौंप दी गई है, और संभावना जताई जा रही है कि सीएमओ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें निलंबन भी शामिल हो सकता है। हालांकि, रिपोर्ट आने के बावजूद कार्रवाई में हो रही देरी कई सवाल खड़े कर रही है।
क्या कार्रवाई से बचने के लिए ‘सक्रिय’ हैं सीएमओ?
सूत्रों की मानें तो सीएमओ आशा भंडारी, रिपोर्ट के बाद से अधिकारियों और नेताओं के दफ्तरों के चक्कर लगाते हुए देखी गई हैं। सवाल यही उठ रहा है—क्या यह ‘जोड़-तोड़’ की कोशिश है, ताकि कार्रवाई से बचा जा सके? या फिर प्रशासन और राजनीति के गठजोड़ में कहीं न्याय दब तो नहीं जाएगा?
विवादों में रही हैं सीएमओ आशा भंडारी
यह पहली बार नहीं है जब सीएमओ आशा भंडारी विवादों में घिरी हों। पेटलावद में निवास न कर अन्य जिले से रोजाना अपडाउन करने वाली सीएमओ पूर्व में बदनावर में भी विवादों में रह चुकी हैं। वहां एक कर्मचारी की संदिग्ध मौत और एक सफाईकर्मी की आत्महत्या के मामले में भी उन पर प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगे थे। इतना ही नहीं, बदनावर में एक पत्रकार के खिलाफ झूठा एससी/एसटी प्रकरण दर्ज कराने की कोशिश का मामला भी सामने आया था, जिसके विरोध में स्थानीय पत्रकारों ने एकजुट होकर उच्च स्तरीय शिकायत की थी।
क्या पीड़ितों को मिलेगा न्याय?
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या हादसे के पीड़ितों को न्याय मिलेगा? क्या सीएमओ आशा भंडारी पर सख्त कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
रिपोर्ट: नीलेश सोनी (अंतिम युद्ध)
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