
नई दिल्ली (अंजन कुमार) – भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम तैयार करने में अमेरिका से झटका मिलने के बाद जापान ने मदद का हाथ बढ़ाया है। जापान ने इस काम में अपनी 160 से अधिक कंपनियों को लगा दिया है और भारत के साथ साझेदारी करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।
हाल ही में अमेरिका ने क्रिटिकल मिनरल्स और टेक्नोलॉजी के अपने इनिशिएटिव में भारत को शामिल नहीं किया, जिससे भारत को जियोपॉलिटिकल झटका लगा। चीन की ओर से इस सेक्टर पर एकाधिकार का गलत इस्तेमाल बढ़ने के बावजूद, अमेरिका ने भारत को अपने एजेंडे से बाहर रखा। लेकिन इस स्थिति में जापान ने भारत के साथ कदम मिलाया।
जापान देगा पूरा सहयोग
भारत में जापान के राजदूत ओनो केइची ने कहा कि जापानी कंपनियां सेमीकंडक्टर के निर्माण, इकोसिस्टम के विकास और संबंधित क्षेत्र की ट्रेनिंग में भारत के साथ साझेदारी करना चाहती हैं। उन्होंने गुजरात के धोलेरा और असम के जागीरोड स्थित टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स सेमीकंडक्टर फैसिलिटी का दौरा कर कंपनियों की जरूरतों से केंद्र और राज्य सरकारों को अवगत कराया।
केइची के अनुसार, जापानी कंपनियों के सहयोग के बिना भारत में मजबूत सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम तैयार करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। उन्होंने कहा, “भारत और जापान दोनों को मिलकर साझा भविष्य की दिशा में काम करना होगा। भारतीय कंपनियों और सरकारों की ठोस प्रतिबद्धता के बिना नई सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन का निर्माण संभव नहीं होगा।”
भारत-जापान में पहले से समझौता
भारत और जापान ने 2023 में सेमीकंडक्टर क्षेत्र में रणनीतिक और आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए समझौता किया था। इसका उद्देश्य एक भरोसेमंद सप्लाई चेन तैयार करना है और चीन के एकाधिकार से निपटने के लिए रिसर्च, डेवलपमेंट और टैलेंट के विकास पर फोकस करना है।
जापान के इस कदम से भारत को अपने सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को मजबूत करने में महत्वपूर्ण सहयोग मिलेगा और इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में मदद मिलेगी।