
मुंबई, 06 अप्रैल (एसडी न्यूज एजेंसी)।
सिर्फ एक नाम नहीं, एक विचारधारा हैं हार्दिक हुंडिया। सिर्फ एक पद नहीं, एक मिशन है – ऑल इंडिया जैन जर्नलिस्ट एसोसिएशन (आईजा)। जब यह दोनों एक साथ आए, तो एक क्रांति ने जन्म लिया।
जिस दौर में पत्रकारिता व्यवसाय और समझौते का प्रतीक बनती जा रही थी, उस समय एक निर्भीक और सिद्धांतवादी स्वर गूंजा – वह स्वर था हार्दिक हुंडिया का। उन्होंने न केवल जैन पत्रकारों को एकजुट किया, बल्कि उन्हें गौरव, दिशा और पहचान भी दिलाई।
हार्दिक हुंडिया केवल एक पदाधिकारी नहीं हैं, वे एक जमीनी कार्यकर्ता हैं। उनका नेतृत्व भाषणों में नहीं, बल्कि कार्यों में दिखता है। उन्होंने आईजा को सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि हर जैन पत्रकार की भावना और स्वाभिमान का प्रतीक बना दिया है।
आईजा आज एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन बन चुका है। देशभर में सक्रिय शाखाएं, पत्रकारिता कार्यशालाएं, सम्मान समारोह और प्रशिक्षण शिविर – यह सब हार्दिक हुंडिया के दूरदर्शी नेतृत्व का प्रतिफल है। उन्होंने पत्रकारिता को धर्म और समाज सेवा से जोड़ा, जिससे पत्रकारिता केवल व्यवसाय नहीं, साधना बन गई।
उनके शब्द प्रेरणा हैं, और उनके कदम परिवर्तन का प्रतीक। वे कहते हैं –
“अगर पत्रकार निष्पक्ष नहीं, तो समाज अंधकार में है। और अगर जैन पत्रकार खामोश हैं, तो धर्म की मशाल बुझने लगेगी।”
कोरोना काल में जब समाज ठहर गया था, तब भी हार्दिक हुंडिया सक्रिय रहे – जैन साधु-संतों के सम्मान की रक्षा, धर्म विरोधी दुष्प्रचार का विरोध, और प्रेस की स्वतंत्रता की बुलंद आवाज बनकर वे हमेशा सबसे आगे खड़े दिखाई दिए।
उन्होंने न केवल सैकड़ों युवा पत्रकारों को मार्गदर्शन दिया, बल्कि उन्हें मंच भी प्रदान किया – जिससे वे पत्रकारिता में नैतिकता और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकें।
अब हार्दिक हुंडिया का अगला लक्ष्य है – “ग्लोबल आईजा”। अमेरिका, कनाडा, दुबई सहित विश्व के अनेक देशों में बसे जैन पत्रकारों को जोड़कर वे आईजा को एक वैश्विक मंच बनाने की दिशा में अग्रसर हैं। उनका सपना है –
“जहाँ भी जैन हो, वहाँ आईजा हो – और जहाँ आईजा हो, वहाँ स्वाभिमान हो।”
यह सिर्फ एक समाचार नहीं, बल्कि जैन पत्रकारिता के स्वर्ण युग की उद्घोषणा है। हार्दिक हुंडिया वह नाम हैं, जो न केवल इतिहास लिख रहे हैं, बल्कि भविष्य गढ़ रहे हैं।
हर घर आईजा – घर-घर आईजा।
आईजा – आपकी शक्ति, आपका स्वाभिमान।